कोरोना वायरस: शराब के ठेके सरकार के लिए इतने ज़रूरी क्यों हैं
तीसरे लॉकडाउन के पहले दिन जब शराब के ठेके खुले तो सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ गईं. सवाल उठा कि क्या ठेके खुलने इतने ज़रूरी हैं कि सरकारें लॉकडाउन लागू करने की अपनी ज़िम्मेदारी तक से नज़र फेर रही हैं?
राज्यों के राजस्व में शराब से होने वाली आय की हिस्सेदारी से पता चलता है कि सरकारें ठेके खोलने के लिए 'मजबूर' क्यों हैं.
लॉकडाउन के दौरान काम-धंधे बंद हैं. जीएसटी मिल नहीं रही है. ऐसे में शराब राज्यों के लिए पैसे कमाने का सबसे आसान रास्ता है.
शराब पर राज्य दो तरीके से कमाई करते हैं. एक तो शराब बनाने वालों पर एक्साइज़ ड्यूटी लगाकर और दूसरा शराब की बिक्री पर वैट (वैल्यू ऐडेड टैक्स) लगाकर.
शराब राज्यों के राजस्व के लिए कितनी अहम है इसका अंदाज़ा इसी बात से लग सकता है कि राजस्थान ने ठेके फिर से खुलने के पहले दिन ही 120 करोड़ रुपये की कमाई कर ली
राजस्थान के वित्त सचिव निरंजन आर्य ने बीबीसी को बताया, ''ठेके खुलने के पहले दिन ही राजस्थान को 120 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है.''
उन्होंने कहा, ''हमने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए शराब से 15500 करोड़ रुपए राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य रखा था लेकिन लॉकडाउन के दौरान ठेके बंद होने से हमें अब तक 1400 करोड़ रुपए के राजस्व का नुक़सान हो चुका है.''
नुक़सान की भरपाई
आर्य के मुताबिक ठेके बंद होने से राजस्थान को प्रतिदिन 41 करोड़ रुपये के राजस्व का नुक़सान हुआ है.
सोमवार को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के अलावा और कई राज्यों में शराब के ठेके खोले गए थे.
दिल्ली ने ठेका खुलने के पहले ही दिन शराब पर 70 फ़ीसदी टैक्स और बढ़ा दिया.
इसकी वजह बताते हुए दिल्ली की डेवलपमेंट एंड डॉयलाग कमीशन के उपाध्यक्ष जैसमीन शाह ने बीबीसी से कहा, ''टैक्स बढ़ाने का हमारा मूल मक़सद राजस्व बढ़ाना ही है. हम जितना राजस्व हर महीने हासिल करते थे अब उसका 10 प्रतिशत ही मिल पा रहा है. अगर हमें अस्पतालों को भी चलाए रखना है, डॉक्टरों और नर्सों के वेतन भी देना है तो पैसा कहां से आएगा. अभी तक केंद्र सरकार ने हमें कोई वित्तीय मदद नहीं दी है. तो हमें ये देखना है कि कहां से हम पैसा बना सकते हैं.''
जैसमीन कहते हैं, ''हमने शराब के अलावा पेट्रोल और डीज़ल पर भी टैक्स बढ़ाया है, इससे हमें राजस्व हासिल करने में मदद मिलेगी.''
वहीं उत्तर प्रदेश के आबकारी आयुक्त पी. गुरुप्रसाद ने बीबीसी को बताया, 'बीते साल अप्रैल में हमें 2950 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था. इस साल अप्रैल में ये शून्य रहा है.'उन्होंने कहा, 'औसतन यूपी में रोज़ सौ करोड़ रुपए की दारू बिकती है.' उत्तर प्रदेश में शराब बिक्री से प्राप्त होने वाला राजस्व सरकार की आय का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है. हालांकि लॉकडाउन में ढील के पहले दिन जहां शराब के ठेकों के बाहर भारी भीड़ रही, वहीं बुधवार को ठेकों पर भीड़ कुछ कम नज़र आई. ऐसे में यूपी का शराब राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई कर पाना मुश्किल ही दिखाई दे रहा है.
0 comments:
Post a Comment
Please Comment Your Questions, Queries or Suggestions